शनिवार, 25 अक्टूबर 2014

फूल अभी सब नींद में गुम है

महके अब पुरवाई क्या

इतने दिनों में याद जो मेरी

आई भी तो आई क्या

हम भी तनहा तुम भी तनहा

दिन तनहा राते तनहा

सब कुछ तनहा तहना सा है

इतनी भी तन्हाई क्या ,

आ अब उस मंजिल पर पहुचे

जिस मंजिल के बाद हमे

छु न सके दुनिया की रस्मे ,

शोहरत क्या रुसवाई क्या ||